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Showing posts from June, 2020

Holi Celebration in Brij ( बृज की होली )

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बृज की होली    बात मथुरा की हो और होली की चर्चा  न हो ऐसा संभव नहीं।  सम्पूर्ण विश्व में प्रसिद्द यहाँ की होली जिसके लिए लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से यहाँ आते हैं।  होली ऐसा त्यौहार है जिसे रंगो के उत्सव के रूप में मानते हैं। भारतवर्ष में यह पर्व फाल्गुन पूर्णिमा को मनाया जाता है और इसके एक दिन बाद ही रंगों से होली खेली जाती है किन्तु ब्रज (मथुरा) की होली एक अनूठा ही त्यौहार है जो एक या दो दिन नहीं पूरे महीने भर सा ही मनाया जाता है। सम्पूर्ण ब्रज ही इस समय देखने लायक होता है।  सभी मंदिरों में विशेष उत्सव होते हैं।  होली के गीत, विशेष रूप से ब्रज भाषा के लोक गीत अत्यंत ही कर्णप्रिय होते हैं किन्तु इस मौसम में ये और अधिक सुहावने लगते हैं। जहाँ भी देखो बसंत का रंग सर्दी के जाने का संकेत देता है। फाल्गुन शुक्ल एकादशी से ये उत्सव और भी रंगमय हो जाता है।                   बरसाना , नंदगाव , मथुरा अलग-अलग दिनों में अपने ही प्रकार की होली का अनुभव कराते हैं। वैसे तो पूरे त्यौहार के...

Brij Chaurasi Kos (ब्रज चौरासी कोस )

  श्री कृष्ण की लीला स्थली जहाँ कण कण में कृष्ण ही विद्यमान हैं ब्रज भूमि कहलाती है। ब्रज रस का आस्वादन , मन को प्रफुल्लित और मोहित कर देने वाली ये लीलाएं केवल उन्हीं को प्राप्त होती हैं जो इनका पान करने को आल्हादित रहते हैं। श्री कृष्ण को ब्रजवासियों से और ब्रजवासियों को  कृष्ण से घनिष्ट प्रेम और सहज लगाव रहा है जो यहाँ के कण कण में दिखाई देता है ।                                                द्वापर युग के अंत में श्री कृष्ण की लीला ब्रज मंडल में प्रत्यक्ष रूप से हुयी थीं।  श्री गिरिराज पर्वत , श्री यमुना जी और यहाँ की ब्रज रज जिसकी ब्रह्म ज्ञानी श्री उद्धव जी ने रो -रोकर याचना की, ये इसके प्रमाण स्वरुप उसी रूप में आज भी विद्यमान हैं । ये लीलाएं आज भी यहाँ हो रही हैं ऐसा वर्णन पुराणों के साथ साथ अनेकों दिव्य तपस्वी संतों की वाणी से ज्ञात  होता है।  इस कारण से भी इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता क्योंकि...