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Days before Pandemic (महामारी से कुछ दिन पहले )

परिवर्तन  का समय :  तेज गति से जीवन जीने की आदत और निश्चित दिनचर्या ही लोगों का एक मात्र उद्देश्य था। सप्ताह के छः दिन सुबह से शाम तक काम, कार्यालय के काम,घर के काम ,बच्चों के काम और रविवार के दिन छः दिन के बचे हुए काम। न सामाजिक मेलजोल, न जुड़ाव , किसी के लिए भी समय न होना। विशेषकर अपने लिए , क्योंकि निजी नौकरी करने वाले तो 24 x 7 केवल नौकरी के ही होकर रह गए थे। आधुनिक परिवेश पूर्ण रूप से हावी था।  ये लोगों की विवशता भी थी कि बदलते परिवेश में अपने को ढालें या पिछड़े कहलाएं। सब कुछ तेज , फ़ोन से मोबाईल फ़ोन , स्मार्ट फ़ोन , सवारी गाड़ियों और रेल गाड़ियों से हाई स्पीड ट्राई , बुलेट ट्रैन और न जाने कितने ही सपने लिए गतिमान जीवन।                इधर एक बहुत बड़ी हलचल वैश्विक पटल पर देखी जा सकती थी।  यूरोप , अमेरिका सहित सम्पूर्ण विश्व में एक नया रोग पैर पसार रहा था। धीरे -धीरे इस रोग ने आक्रामकता दिखानी प्रारम्भ की। सरकारें जागीं और रोकथाम का प्रयास किया जाने लगा। ये फैलाव और तेज हो रहा था।         ...

Brij Chaurasi Kos (ब्रज चौरासी कोस )

  श्री कृष्ण की लीला स्थली जहाँ कण कण में कृष्ण ही विद्यमान हैं ब्रज भूमि कहलाती है। ब्रज रस का आस्वादन , मन को प्रफुल्लित और मोहित कर देने वाली ये लीलाएं केवल उन्हीं को प्राप्त होती हैं जो इनका पान करने को आल्हादित रहते हैं। श्री कृष्ण को ब्रजवासियों से और ब्रजवासियों को  कृष्ण से घनिष्ट प्रेम और सहज लगाव रहा है जो यहाँ के कण कण में दिखाई देता है ।                                                द्वापर युग के अंत में श्री कृष्ण की लीला ब्रज मंडल में प्रत्यक्ष रूप से हुयी थीं।  श्री गिरिराज पर्वत , श्री यमुना जी और यहाँ की ब्रज रज जिसकी ब्रह्म ज्ञानी श्री उद्धव जी ने रो -रोकर याचना की, ये इसके प्रमाण स्वरुप उसी रूप में आज भी विद्यमान हैं । ये लीलाएं आज भी यहाँ हो रही हैं ऐसा वर्णन पुराणों के साथ साथ अनेकों दिव्य तपस्वी संतों की वाणी से ज्ञात  होता है।  इस कारण से भी इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता क्योंकि...

Mathura's Pre-Lockdown Yamuna Clean-Up: Community Efforts & Environmental Revival (मथुरा-लॉक डाउन से पहले -7)

कोरोना लॉकडाउन से पहले मथुरा में यमुना सफाई अभियान: जनसहयोग से बदली तस्वीर प्रत्येक सरकारी योजना में मथुरा वृन्दावन सहित सम्पूर्ण ब्रज क्षेत्र का ध्यान रखा जाने लगा। यमुना को मैय्या मानकर और शोर मचाकर इस जीवन दायिनी नदी को प्रदूषण मुक्त करने और कराने के लिए कई स्वसेवी संगठन उठ खड़े हुए।  यहाँ के भावुक लोग भी इन संगठनों का समर्थन करने लगे। अभियान तेज हो गया और एक क्रांति की तरह से लोगों में स्वच्छ यमुना के लिए उत्कंठा जाग उठी। यमुना का सहारा लेकर आजीविका प्राप्त करने वाले लोग उग्रता से इस ओर जुटने लगे। विदेशी सहयोग की आस :                 प्रदेश और देश ही नहीं विदेशों से भी यमुना प्रदूषण मुक्ति को सहायता दिलाने के लिए अलग अलग दिशाओं में दौड़ लगने लगी। उद्देश्य वही किसी तरह यमुना का मूल प्राकृतिक रूप पुनः प्राप्त कराया जाये।      यमुना बचाओ अभियान:                  उद्योगों से निकलने वाले और यमुना में सीधे गिरने वाले नालों पर जहाँ प्रदूषण बोर्ड और सरकार ने नकेल कसी ...

Mathura before corona lockdown -6(मथुरा-लॉक डाउन से पहले -6)

मीठा खाने और क्रिकेट खेलने के शौक ने जहाँ मैदानों को खेलने वाले बाल ,किशोर और तरुण अवस्था के खिलाड़ियों से भर रखा था वहीँ कुछ ऐसे भी थे जिनकी पहुंच मैदानों तक नहीं थी या यूँ कहें कि किसी कारणवश  वे मैदान से दूर थे , सँकरी गलियों में , मकानों के खंडहर में , अपनी छतों पर , आँगन में , खाली पड़े मकानों की छतों पर, हॉल , छोटे से कमरे या किसी भी जगह पर अपनी क्रिकेट क्षमताओं को धार देते हुए देखे जा सकते थे। प्रेम का ऐसा भाव प्राणी मात्र के साथ साथ अन्यत्र सभी स्थानों पर अनुभव किया जा सकता था।  क्रिकेट का ये प्रेम ही था कि सभी उम्र के लोग जुड़कर इस खेल का आनंद प्राप्त करते। आप क्रिकेट प्रेम को इसी से आंक सकते हैं कि गर्मी की भरी दोपहर में खेलने वालों के साथ साथ देखने वाले भी नहीं घबराते थे और खेल देखने के लिए सब भूलकर घंटों एक ही जगह पर खड़े रहते। कुछ भले लोग तो इन खिलाडियों को निःस्वार्थ  भाव से पानी पिलाकर भी पुण्य अर्जित करते जबकि वे खेलने वाले किसी को पहले से नहीं जानते। जानकारी के लिए बता दूँ कि क्रिकेट के खेल में एक टी...

Mathura before corona lockdown -5(मथुरा-लॉक डाउन से पहले -5)

वैश्विक प्रगति ने प्रकृति की आभा को ढक दिया।  इसका प्रभाव सम्पूर्ण विश्व पर पड़ा , ब्रज क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं रहा, किन्तु स्थिति उन महानगरों से बेहतर थी जहाँ हवा प्राणवायु नहीं, गैस चैम्बर बनकर रह गयी थी।  कहीं तक प्रदूषित वातावरण ने मनुष्य की सोच को भी प्रभावित कर दिया।  जहाँ मानव बिना मानवता के मदमस्त घूम रहा था , कदाचित यहाँ कुछ बाकी था जिसने प्रेम और सहयोग लोगों में बनाये रखा।  आत्म केंद्रित होते हुए भी सामजिक सक्रियता जारी थी।                २ जी से  ३ जी , ४ जी की यात्रा ने जीवनशैली को कब परिवर्तित किया हमें पता ही नहीं चला। मोबाइल पर भी राधे-राधे की रिंगटोन , रेडियो का ब्रजमाधुरी , हनुमान चालीसा ,भजन और कथा श्रवण का आनंद लेते ब्रजवासी, यूँ ही चबूतरे पर बैठे चार मित्र, अपने मूल से जुड़े होने का सन्देश अपनी नयी पीढ़ी समेत विश्व को देते रहे।                             नयी पीढ़ी , नयी सोच और हावी होती आधुनिकता ...

Mathura before corona lockdown -4(मथुरा-लॉक डाउन से पहले -4)

शिक्षा के क्षेत्र में भी यहाँ प्रगति हो रही थी।  महाविद्यालय से लेकर निजी विश्वविद्यालय तक बहुत तेजी से विकसित हुए।  संभावनाएं अब और भी बढ़ गयीं। मथुरा एजुकेशन हब के नाम से जाना जाना लगा। शिक्षार्थी भी यहाँ बहुतायत में आने लगे। गांव-गांव ,गली-गली तक शिक्षा के आधुनिक मंदिर पहुंच गए।                कुछ आस्था , कुछ धर्म , कहीं शिक्षा., कहीं डर तो कहीं यूँ ही लोगों का सैलाब उमड़ने लगा। शहर की सड़कें ही नहीं अपितु यहाँ से निकलने वाले राजमार्ग भी भीड़ भरे हो गए।  बाहरी लोगों को बस अपने सुख और सुविधा की ही सोच रहती, उनका किसी प्रकार से यहाँ के निवासियों या उनकी समस्याओं से दूर दूर तक कोई सरोकार नहीं था।              अंगरेजी में "वीकेंड " कहे जाने वाले दो दिन यहाँ रहने वाले और आने वालों के साथ साथ प्रशासन के लिए भी नाक में दम करने वाले होते जा रहे थे।  भले मानुष कुछ ऐसे गाइड और पण्डे जो बेचारे कुछ कमाने के लिए बाहर की गाड़ियों को अंदर के रास्ते से ले तो आते किन्तु कभी- कभी ये और भी समस्या...

Mathura before corona lockdown-2 (मथुरा - लॉक डाउन से पहले -2)

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प्राचीन परम्पराएं, अलग-अलग परिवेश और भिन्न-भिन्न आस्थाओं का केंद्र यह मथुरा अनेकों मतों की ऐतिहासिक विरासत को अपने में समाहित किये हुए है।  बौद्धों का बड़ा शैक्षिक केंद्र, जैनियों के लिए अहिक्षेत्र जम्बूस्वामी की तपस्थली "चौरासी" के नाम से प्रसिद्ध एक बड़ा तीर्थस्थल ,  जिनके अवशेष आज भी मथुरा संग्रहालय में देखे जा सकते हैं। जहाँ तहाँ खुदाई में पुरानी मूर्तियां और उनके अवशेष आज भी मिलते हैं। मथुरा महात्मा गाँधी के स्वतंत्रता आंदोलन यात्रा में भी एक महत्वपूर्ण पड़ाव  रहा।  यहाँ गाँधी जी की कई महत्वपूर्ण यात्राएं रहीं जो कि मथुरा के इतिहास में अंकित हैं । वस्तुतः ब्रज क्षेत्र एक लम्बे समय तक अपनी शांति और एकांत को बनाये रहा। यहाँ पर समयानुसार श्रद्धालु वर्ष के भिन्न भिन्न समय अवधि में आते और यात्रा पूर्ण करके लौट जाते।  ब्रज चौरासी कोस की यात्रा भी समय से संपन्न होती रही।  प्रकृति और आध्यात्म का अद्भुत समागम विदेशियों को भी आकर्षित करने लगा और वृन्दावन में  धीरे धीरे इनका आना लगा रहा।  प्रभावि...

Mathura Before corona lockdown (मथुरा-लॉक डाउन से पहले)

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श्री कृष्ण की नगरी मथुरा में  सब कुछ प्राचीन काल से ही अद्भुत रहा है।  यहाँ की  उत्कृष्ट  जीवन शैली और लोगों का आत्मविश्वास देखते ही बनता है।  कोई भी आपदा यहाँ तक आते आते स्वयं ही ढेर हो जाती है।  लोगों का आपसी प्रेम और बोली यहाँ का माधुर्य दिखाती है।  सभी प्रसन्न और मस्त हैं।  प्रभु  दर्शन से दिन की शुरुआत करके सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं।  खाने की इतनी विविधता कि नित्य नए पकवान भिन्न-भिन्न उत्सवों और ऋतुओं के हिसाब से दिखाई देते हैं।  यूँ तो सप्ताह में सात दिन होते हैं किन्तु यहाँ के त्योहारों की गिनती सात दिनों में सात से भी ज्यादा हो जाती है।  ये त्यौहार वे हैं जो मुख्य त्योहारों से अलग मनाये जाते हैं। होली और श्री कृष्ण जन्माष्टमी तो विश्व प्रसिद्द हैं। यमुना की अविरल धारा, वृन्दावन का एकांत , गोवेर्धन पर्वत , बरसाना ,गोकुल ,महावन सहित सम्पूर्ण ब्रज क्षेत्र लोगों को आकर्षित करता ही रहा है।                      निःस्वार्थ प्रेम औरसाधारण जीवन शैली यह...