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Mathura before corona lockdown -5(मथुरा-लॉक डाउन से पहले -5)

वैश्विक प्रगति ने प्रकृति की आभा को ढक दिया।  इसका प्रभाव सम्पूर्ण विश्व पर पड़ा , ब्रज क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं रहा, किन्तु स्थिति उन महानगरों से बेहतर थी जहाँ हवा प्राणवायु नहीं, गैस चैम्बर बनकर रह गयी थी।  कहीं तक प्रदूषित वातावरण ने मनुष्य की सोच को भी प्रभावित कर दिया।  जहाँ मानव बिना मानवता के मदमस्त घूम रहा था , कदाचित यहाँ कुछ बाकी था जिसने प्रेम और सहयोग लोगों में बनाये रखा।  आत्म केंद्रित होते हुए भी सामजिक सक्रियता जारी थी।                २ जी से  ३ जी , ४ जी की यात्रा ने जीवनशैली को कब परिवर्तित किया हमें पता ही नहीं चला। मोबाइल पर भी राधे-राधे की रिंगटोन , रेडियो का ब्रजमाधुरी , हनुमान चालीसा ,भजन और कथा श्रवण का आनंद लेते ब्रजवासी, यूँ ही चबूतरे पर बैठे चार मित्र, अपने मूल से जुड़े होने का सन्देश अपनी नयी पीढ़ी समेत विश्व को देते रहे।                             नयी पीढ़ी , नयी सोच और हावी होती आधुनिकता ...

Mathura before corona lockdown-2 (मथुरा - लॉक डाउन से पहले -2)

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प्राचीन परम्पराएं, अलग-अलग परिवेश और भिन्न-भिन्न आस्थाओं का केंद्र यह मथुरा अनेकों मतों की ऐतिहासिक विरासत को अपने में समाहित किये हुए है।  बौद्धों का बड़ा शैक्षिक केंद्र, जैनियों के लिए अहिक्षेत्र जम्बूस्वामी की तपस्थली "चौरासी" के नाम से प्रसिद्ध एक बड़ा तीर्थस्थल ,  जिनके अवशेष आज भी मथुरा संग्रहालय में देखे जा सकते हैं। जहाँ तहाँ खुदाई में पुरानी मूर्तियां और उनके अवशेष आज भी मिलते हैं। मथुरा महात्मा गाँधी के स्वतंत्रता आंदोलन यात्रा में भी एक महत्वपूर्ण पड़ाव  रहा।  यहाँ गाँधी जी की कई महत्वपूर्ण यात्राएं रहीं जो कि मथुरा के इतिहास में अंकित हैं । वस्तुतः ब्रज क्षेत्र एक लम्बे समय तक अपनी शांति और एकांत को बनाये रहा। यहाँ पर समयानुसार श्रद्धालु वर्ष के भिन्न भिन्न समय अवधि में आते और यात्रा पूर्ण करके लौट जाते।  ब्रज चौरासी कोस की यात्रा भी समय से संपन्न होती रही।  प्रकृति और आध्यात्म का अद्भुत समागम विदेशियों को भी आकर्षित करने लगा और वृन्दावन में  धीरे धीरे इनका आना लगा रहा।  प्रभावि...

Mathura Before corona lockdown (मथुरा-लॉक डाउन से पहले)

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श्री कृष्ण की नगरी मथुरा में  सब कुछ प्राचीन काल से ही अद्भुत रहा है।  यहाँ की  उत्कृष्ट  जीवन शैली और लोगों का आत्मविश्वास देखते ही बनता है।  कोई भी आपदा यहाँ तक आते आते स्वयं ही ढेर हो जाती है।  लोगों का आपसी प्रेम और बोली यहाँ का माधुर्य दिखाती है।  सभी प्रसन्न और मस्त हैं।  प्रभु  दर्शन से दिन की शुरुआत करके सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं।  खाने की इतनी विविधता कि नित्य नए पकवान भिन्न-भिन्न उत्सवों और ऋतुओं के हिसाब से दिखाई देते हैं।  यूँ तो सप्ताह में सात दिन होते हैं किन्तु यहाँ के त्योहारों की गिनती सात दिनों में सात से भी ज्यादा हो जाती है।  ये त्यौहार वे हैं जो मुख्य त्योहारों से अलग मनाये जाते हैं। होली और श्री कृष्ण जन्माष्टमी तो विश्व प्रसिद्द हैं। यमुना की अविरल धारा, वृन्दावन का एकांत , गोवेर्धन पर्वत , बरसाना ,गोकुल ,महावन सहित सम्पूर्ण ब्रज क्षेत्र लोगों को आकर्षित करता ही रहा है।                      निःस्वार्थ प्रेम औरसाधारण जीवन शैली यह...