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Days before Pandemic (महामारी से कुछ दिन पहले )

परिवर्तन  का समय :  तेज गति से जीवन जीने की आदत और निश्चित दिनचर्या ही लोगों का एक मात्र उद्देश्य था। सप्ताह के छः दिन सुबह से शाम तक काम, कार्यालय के काम,घर के काम ,बच्चों के काम और रविवार के दिन छः दिन के बचे हुए काम। न सामाजिक मेलजोल, न जुड़ाव , किसी के लिए भी समय न होना। विशेषकर अपने लिए , क्योंकि निजी नौकरी करने वाले तो 24 x 7 केवल नौकरी के ही होकर रह गए थे। आधुनिक परिवेश पूर्ण रूप से हावी था।  ये लोगों की विवशता भी थी कि बदलते परिवेश में अपने को ढालें या पिछड़े कहलाएं। सब कुछ तेज , फ़ोन से मोबाईल फ़ोन , स्मार्ट फ़ोन , सवारी गाड़ियों और रेल गाड़ियों से हाई स्पीड ट्राई , बुलेट ट्रैन और न जाने कितने ही सपने लिए गतिमान जीवन।                इधर एक बहुत बड़ी हलचल वैश्विक पटल पर देखी जा सकती थी।  यूरोप , अमेरिका सहित सम्पूर्ण विश्व में एक नया रोग पैर पसार रहा था। धीरे -धीरे इस रोग ने आक्रामकता दिखानी प्रारम्भ की। सरकारें जागीं और रोकथाम का प्रयास किया जाने लगा। ये फैलाव और तेज हो रहा था।         ...

Mathura before corona lockdown -3 (मथुरा-लॉक डाउन से पहले -3)

कनिष्क के काल खंड की शिल्पकला का बड़ा केंद्र , ध्रुव और  नारद सहित अन्य ऋषियों की तपस्थली , आस्था का एक ऐतिहासिक नगर अब कथा वक्ताओं के उद्गम और विशिष्ट क्षेत्र के रूप में विख्यात हो गया।          आधुनिक भारत के विकास के साथ ही मथुरा भी औद्योगिक प्रगति की ओर बढ़ा जिसमें नवरत्नों में से एक मथुरा रिफाइनरी की स्थापना से मथुरा की छवि बदलने लगी। विकास और आधुनिकता की ओर  ये एक बड़ा कदम था।           मोबाइल और इंटरनेट क्रांति के साथ कई चीज़ों के अर्थ बदलने लगे।  भूमि-भवन की कीमतें अचानक आसमान छूने लगीं। लोगों को एक विशिष्ट कार्य मिल गया।  सफ़ेद कपड़े , सफ़ेद जूते , मोबाईल फ़ोन और जहाँ तहाँ पेट्रोल फूंकती दुपहिया और चौपहिया गाड़ियां, कहीं भी हाइवे पर खुले रेस्टोरेंट और ढावे, लम्बी प्रतीक्षा, मीटिंग झगडा करते लोग। खरीदार और भूमि विक्रेता जिनमें कोई भी नहीं, ये भी एक सफ़ेद कार्य था।             समय का बदलाव जारी रहा और ये सुखद समय भी जाने को तैयार था। ...