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Brij Chaurasi Kos (ब्रज चौरासी कोस )

  श्री कृष्ण की लीला स्थली जहाँ कण कण में कृष्ण ही विद्यमान हैं ब्रज भूमि कहलाती है। ब्रज रस का आस्वादन , मन को प्रफुल्लित और मोहित कर देने वाली ये लीलाएं केवल उन्हीं को प्राप्त होती हैं जो इनका पान करने को आल्हादित रहते हैं। श्री कृष्ण को ब्रजवासियों से और ब्रजवासियों को  कृष्ण से घनिष्ट प्रेम और सहज लगाव रहा है जो यहाँ के कण कण में दिखाई देता है ।                                                द्वापर युग के अंत में श्री कृष्ण की लीला ब्रज मंडल में प्रत्यक्ष रूप से हुयी थीं।  श्री गिरिराज पर्वत , श्री यमुना जी और यहाँ की ब्रज रज जिसकी ब्रह्म ज्ञानी श्री उद्धव जी ने रो -रोकर याचना की, ये इसके प्रमाण स्वरुप उसी रूप में आज भी विद्यमान हैं । ये लीलाएं आज भी यहाँ हो रही हैं ऐसा वर्णन पुराणों के साथ साथ अनेकों दिव्य तपस्वी संतों की वाणी से ज्ञात  होता है।  इस कारण से भी इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता क्योंकि...