Premanand Ji Maharaj: The Divine Journey of Vrindavan’s Humble Saint(प्रेमानंद जी महाराज: वृंदावन के सरल संत की अद्भुत कथा)
प्रेमानंद जी महाराज: वृंदावन के आध्यात्मिक दीपस्तंभ
प्रेमानंद जी महाराज, जिनका जन्म 1969 में उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के अखरी गाँव में हुआ था, आज वृंदावन के एक प्रमुख संत और गुरु के रूप में प्रतिष्ठित हैं। उनका जीवन त्याग, तपस्या और भक्ति का प्रतीक है, जो आज भी लाखों भक्तों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
🌱 प्रारंभिक जीवन और सन्यास
प्रेमानंद जी महाराज का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता, श्री शंभू पांडे, ने बाद में सन्यास लिया और माँ, श्रीमती रमा देवी, धार्मिक कार्यों में संलग्न रहीं। घर में भगवद्भक्ति और धार्मिक अनुष्ठानों का वातावरण था, जिसने उनके भीतर बचपन से ही आध्यात्मिक प्रवृत्तियों को जन्म दिया।
13 वर्ष की आयु में उन्होंने सांसारिक मोह-माया से दूर होकर सन्यास लेने का संकल्प लिया और "आनंदस्वरूप ब्रह्मचारी" के नाम से प्रसिद्ध हुए। बाद में, उन्होंने "स्वामी आनंदाश्रम" के नाम से भी पहचान बनाई।
🛕 वाराणसी से वृंदावन की यात्रा
वाराणसी में गंगा के किनारे एक बरगद के पेड़ के नीचे ध्यान करते समय, प्रेमानंद जी महाराज को वृंदावन के प्रति आकर्षण हुआ। एक संत ने उन्हें रासलीला देखने का सुझाव दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार किया। रासलीला के दर्शन ने उनके हृदय को छुआ और वे वृंदावन जाने के लिए प्रेरित हुए।
वृंदावन में उन्होंने श्री राधावल्लभ मंदिर में दर्शन किए और वहां की दिव्य वायु ने उन्हें आत्मिक शांति प्रदान की। बाद में, उन्होंने श्री हिट मोहित माराल गोस्वामी जी से दीक्षा ली और राधावल्लभ संप्रदाय से जुड़ गए।
विराट कोहली प्रेमानंद जी महाराज की शरण में
📿 प्रेमानंद जी महाराज की शिक्षाएँ
प्रेमानंद जी महाराज की शिक्षाएँ सरल, प्रभावी और जीवनोपयोगी हैं:
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सच्ची भक्ति: "आप जहाँ हैं, वहीं रहकर भगवान को याद करिए।" भक्ति दिखावे की नहीं, दिल से होनी चाहिए।
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साधारण जीवन, उच्च विचार: सांसारिक जीवन में रहते हुए भी आत्मिक उन्नति संभव है। "भागने की नहीं, जागने की ज़रूरत है।"
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नाम जप: "नाम जप से भगवान से जुड़ाव बढ़ता है।" वह मानते हैं कि नाम जप से आत्मा को शांति मिलती है।
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सेवा और विनम्रता: "मैं तो बस भगवान का एक सेवक हूँ।" उनका जीवन सेवा और विनम्रता का आदर्श प्रस्तुत करता है।
🏛️ वृंदावन में आश्रम और दर्शन
प्रेमानंद जी महाराज का आश्रम श्री हित राधा केलि कुंज के नाम से प्रसिद्ध है, जो वृंदावन के परिक्रमा मार्ग पर स्थित है। यहाँ पर:
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प्रातः कालीन सत्संग: सुबह 4:10 बजे से आरंभ होता है। प्रवेश सुबह 3:30 बजे से होता है।
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संध्या आरती: शाम 4:00 बजे से होती है।
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व्यक्तिगत संवाद: सुबह 9:00 से 10:00 बजे तक महाराज जी से मिल सकते हैं।
📞 संपर्क जानकारी -
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वेबसाइट: vrindavanrasmahima.com
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यूट्यूब चैनल: श्री हित राधा कृपा
🌟 समापन
प्रेमानंद जी महाराज का जीवन त्याग, तपस्या और भक्ति का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करता है। उनकी शिक्षाएँ हमें जीवन में संतुलन, शांति और आत्मिक उन्नति की दिशा दिखाती हैं। यदि आप भी आत्मिक शांति की खोज में हैं, तो वृंदावन में उनका आश्रम आपके लिए एक दिव्य स्थल हो सकता है।
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