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Holi Celebration in Brij ( बृज की होली )

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बृज की होली    बात मथुरा की हो और होली की चर्चा  न हो ऐसा संभव नहीं।  सम्पूर्ण विश्व में प्रसिद्द यहाँ की होली जिसके लिए लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से यहाँ आते हैं।  होली ऐसा त्यौहार है जिसे रंगो के उत्सव के रूप में मानते हैं। भारतवर्ष में यह पर्व फाल्गुन पूर्णिमा को मनाया जाता है और इसके एक दिन बाद ही रंगों से होली खेली जाती है किन्तु ब्रज (मथुरा) की होली एक अनूठा ही त्यौहार है जो एक या दो दिन नहीं पूरे महीने भर सा ही मनाया जाता है। सम्पूर्ण ब्रज ही इस समय देखने लायक होता है।  सभी मंदिरों में विशेष उत्सव होते हैं।  होली के गीत, विशेष रूप से ब्रज भाषा के लोक गीत अत्यंत ही कर्णप्रिय होते हैं किन्तु इस मौसम में ये और अधिक सुहावने लगते हैं। जहाँ भी देखो बसंत का रंग सर्दी के जाने का संकेत देता है। फाल्गुन शुक्ल एकादशी से ये उत्सव और भी रंगमय हो जाता है।                   बरसाना , नंदगाव , मथुरा अलग-अलग दिनों में अपने ही प्रकार की होली का अनुभव कराते हैं। वैसे तो पूरे त्यौहार के...

Brij Chaurasi Kos (ब्रज चौरासी कोस )

  श्री कृष्ण की लीला स्थली जहाँ कण कण में कृष्ण ही विद्यमान हैं ब्रज भूमि कहलाती है। ब्रज रस का आस्वादन , मन को प्रफुल्लित और मोहित कर देने वाली ये लीलाएं केवल उन्हीं को प्राप्त होती हैं जो इनका पान करने को आल्हादित रहते हैं। श्री कृष्ण को ब्रजवासियों से और ब्रजवासियों को  कृष्ण से घनिष्ट प्रेम और सहज लगाव रहा है जो यहाँ के कण कण में दिखाई देता है ।                                                द्वापर युग के अंत में श्री कृष्ण की लीला ब्रज मंडल में प्रत्यक्ष रूप से हुयी थीं।  श्री गिरिराज पर्वत , श्री यमुना जी और यहाँ की ब्रज रज जिसकी ब्रह्म ज्ञानी श्री उद्धव जी ने रो -रोकर याचना की, ये इसके प्रमाण स्वरुप उसी रूप में आज भी विद्यमान हैं । ये लीलाएं आज भी यहाँ हो रही हैं ऐसा वर्णन पुराणों के साथ साथ अनेकों दिव्य तपस्वी संतों की वाणी से ज्ञात  होता है।  इस कारण से भी इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता क्योंकि...

Mathura's Pre-Lockdown Yamuna Clean-Up: Community Efforts & Environmental Revival (मथुरा-लॉक डाउन से पहले -7)

कोरोना लॉकडाउन से पहले मथुरा में यमुना सफाई अभियान: जनसहयोग से बदली तस्वीर प्रत्येक सरकारी योजना में मथुरा वृन्दावन सहित सम्पूर्ण ब्रज क्षेत्र का ध्यान रखा जाने लगा। यमुना को मैय्या मानकर और शोर मचाकर इस जीवन दायिनी नदी को प्रदूषण मुक्त करने और कराने के लिए कई स्वसेवी संगठन उठ खड़े हुए।  यहाँ के भावुक लोग भी इन संगठनों का समर्थन करने लगे। अभियान तेज हो गया और एक क्रांति की तरह से लोगों में स्वच्छ यमुना के लिए उत्कंठा जाग उठी। यमुना का सहारा लेकर आजीविका प्राप्त करने वाले लोग उग्रता से इस ओर जुटने लगे। विदेशी सहयोग की आस :                 प्रदेश और देश ही नहीं विदेशों से भी यमुना प्रदूषण मुक्ति को सहायता दिलाने के लिए अलग अलग दिशाओं में दौड़ लगने लगी। उद्देश्य वही किसी तरह यमुना का मूल प्राकृतिक रूप पुनः प्राप्त कराया जाये।      यमुना बचाओ अभियान:                  उद्योगों से निकलने वाले और यमुना में सीधे गिरने वाले नालों पर जहाँ प्रदूषण बोर्ड और सरकार ने नकेल कसी ...

Mathura before corona lockdown -6(मथुरा-लॉक डाउन से पहले -6)

मीठा खाने और क्रिकेट खेलने के शौक ने जहाँ मैदानों को खेलने वाले बाल ,किशोर और तरुण अवस्था के खिलाड़ियों से भर रखा था वहीँ कुछ ऐसे भी थे जिनकी पहुंच मैदानों तक नहीं थी या यूँ कहें कि किसी कारणवश  वे मैदान से दूर थे , सँकरी गलियों में , मकानों के खंडहर में , अपनी छतों पर , आँगन में , खाली पड़े मकानों की छतों पर, हॉल , छोटे से कमरे या किसी भी जगह पर अपनी क्रिकेट क्षमताओं को धार देते हुए देखे जा सकते थे। प्रेम का ऐसा भाव प्राणी मात्र के साथ साथ अन्यत्र सभी स्थानों पर अनुभव किया जा सकता था।  क्रिकेट का ये प्रेम ही था कि सभी उम्र के लोग जुड़कर इस खेल का आनंद प्राप्त करते। आप क्रिकेट प्रेम को इसी से आंक सकते हैं कि गर्मी की भरी दोपहर में खेलने वालों के साथ साथ देखने वाले भी नहीं घबराते थे और खेल देखने के लिए सब भूलकर घंटों एक ही जगह पर खड़े रहते। कुछ भले लोग तो इन खिलाडियों को निःस्वार्थ  भाव से पानी पिलाकर भी पुण्य अर्जित करते जबकि वे खेलने वाले किसी को पहले से नहीं जानते। जानकारी के लिए बता दूँ कि क्रिकेट के खेल में एक टी...

Mathura before corona lockdown -5(मथुरा-लॉक डाउन से पहले -5)

वैश्विक प्रगति ने प्रकृति की आभा को ढक दिया।  इसका प्रभाव सम्पूर्ण विश्व पर पड़ा , ब्रज क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं रहा, किन्तु स्थिति उन महानगरों से बेहतर थी जहाँ हवा प्राणवायु नहीं, गैस चैम्बर बनकर रह गयी थी।  कहीं तक प्रदूषित वातावरण ने मनुष्य की सोच को भी प्रभावित कर दिया।  जहाँ मानव बिना मानवता के मदमस्त घूम रहा था , कदाचित यहाँ कुछ बाकी था जिसने प्रेम और सहयोग लोगों में बनाये रखा।  आत्म केंद्रित होते हुए भी सामजिक सक्रियता जारी थी।                २ जी से  ३ जी , ४ जी की यात्रा ने जीवनशैली को कब परिवर्तित किया हमें पता ही नहीं चला। मोबाइल पर भी राधे-राधे की रिंगटोन , रेडियो का ब्रजमाधुरी , हनुमान चालीसा ,भजन और कथा श्रवण का आनंद लेते ब्रजवासी, यूँ ही चबूतरे पर बैठे चार मित्र, अपने मूल से जुड़े होने का सन्देश अपनी नयी पीढ़ी समेत विश्व को देते रहे।                             नयी पीढ़ी , नयी सोच और हावी होती आधुनिकता ...

Mathura before corona lockdown -4(मथुरा-लॉक डाउन से पहले -4)

शिक्षा के क्षेत्र में भी यहाँ प्रगति हो रही थी।  महाविद्यालय से लेकर निजी विश्वविद्यालय तक बहुत तेजी से विकसित हुए।  संभावनाएं अब और भी बढ़ गयीं। मथुरा एजुकेशन हब के नाम से जाना जाना लगा। शिक्षार्थी भी यहाँ बहुतायत में आने लगे। गांव-गांव ,गली-गली तक शिक्षा के आधुनिक मंदिर पहुंच गए।                कुछ आस्था , कुछ धर्म , कहीं शिक्षा., कहीं डर तो कहीं यूँ ही लोगों का सैलाब उमड़ने लगा। शहर की सड़कें ही नहीं अपितु यहाँ से निकलने वाले राजमार्ग भी भीड़ भरे हो गए।  बाहरी लोगों को बस अपने सुख और सुविधा की ही सोच रहती, उनका किसी प्रकार से यहाँ के निवासियों या उनकी समस्याओं से दूर दूर तक कोई सरोकार नहीं था।              अंगरेजी में "वीकेंड " कहे जाने वाले दो दिन यहाँ रहने वाले और आने वालों के साथ साथ प्रशासन के लिए भी नाक में दम करने वाले होते जा रहे थे।  भले मानुष कुछ ऐसे गाइड और पण्डे जो बेचारे कुछ कमाने के लिए बाहर की गाड़ियों को अंदर के रास्ते से ले तो आते किन्तु कभी- कभी ये और भी समस्या...

Mathura before corona lockdown -3 (मथुरा-लॉक डाउन से पहले -3)

कनिष्क के काल खंड की शिल्पकला का बड़ा केंद्र , ध्रुव और  नारद सहित अन्य ऋषियों की तपस्थली , आस्था का एक ऐतिहासिक नगर अब कथा वक्ताओं के उद्गम और विशिष्ट क्षेत्र के रूप में विख्यात हो गया।          आधुनिक भारत के विकास के साथ ही मथुरा भी औद्योगिक प्रगति की ओर बढ़ा जिसमें नवरत्नों में से एक मथुरा रिफाइनरी की स्थापना से मथुरा की छवि बदलने लगी। विकास और आधुनिकता की ओर  ये एक बड़ा कदम था।           मोबाइल और इंटरनेट क्रांति के साथ कई चीज़ों के अर्थ बदलने लगे।  भूमि-भवन की कीमतें अचानक आसमान छूने लगीं। लोगों को एक विशिष्ट कार्य मिल गया।  सफ़ेद कपड़े , सफ़ेद जूते , मोबाईल फ़ोन और जहाँ तहाँ पेट्रोल फूंकती दुपहिया और चौपहिया गाड़ियां, कहीं भी हाइवे पर खुले रेस्टोरेंट और ढावे, लम्बी प्रतीक्षा, मीटिंग झगडा करते लोग। खरीदार और भूमि विक्रेता जिनमें कोई भी नहीं, ये भी एक सफ़ेद कार्य था।             समय का बदलाव जारी रहा और ये सुखद समय भी जाने को तैयार था। ...